ख़ामोशी


ख़ामोशी -- जैसे कोई सुना हुआ एक शब्द.
पर इसे सुनना जैसे, शायद सब के बस की बात नहीं,
लब सिले हुए होते है, मगर दिल में थमा होता है एक तूफ़ान,
जो इंतज़ार करता है किसी अपने का, जिसे सुना सके अपने दिल का हाल.
मन में चलते रहते है कई सवाल, जिसका जवाब पता होके भी कोई फर्क नहीं,
स्मृति लुप्त है कही अतीत की परछाईओं में कोई नया लम्हा ढूंढ़ पाने को.
आस-पास बैठे लोगों से भी दूर-दूर तक कोई रिश्ता ना लगता हो,
और नजर से दूर किसी को याद करने से फुर्सत ना हो.
ऐसे किसी पल में जब आँखें नम होने को आये,
और लेना चाहो किसी का नाम तुम, पर वो लब्ज़ हलक से निकल ना पाये,
उस शांत समंदर जैसे कुछ पलों के एहसास को ख़ामोशी कहते है...
-- कृष्णा पाण्डेय

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