परेशानी


वो ज़ज्बा ही कही गुम है, आज़ादी का,
सब खुश-फहमी में जिये जाते है...
दो पल के सुकूनो आराम के लिये,
लोगों के ईमान बदल जाते है...

कहते है जंग के लिये जरुरत होती है हथियारों की,
लोग चुभती बातों से ही बेहाल हुए जाते है...
मौके-परस्तों की इस दुनिया में, किसका ऐतबार करे,
अपने वादे रखने को, मर्द की ज़ुबान कम पड़ जाते है...

चेहरों पे सिकन है वक़्त का, मज़बूरी की,
कैसे जोड़ ले और दो-चार पाई, सब इस जुगत में है,
उम्र गुजर गयी लोगों की इसी फिराक में,
एक हम है, जो फ़ोकट में परेशान हुए जाते है... :)
-- कृष्णा पाण्डेय

Comments

Popular posts from this blog

"gnome-screenshot" (No such file or directory)"

कुछ और

यादें