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Showing posts from November, 2012

Shri Bhaskaracharya Ji

श्री भास्कराचार्य जी हमारे प्राचीन भारत के सुप्रशिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलविज्ञानी रहे हैं। उनके जीवन तथा कार्य के बारे में अधिक जानने हेतु शोध करने पर मुझे अपने भारतीय होने पर अत्यंत गर्व हुआ। पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभाव से हम अपने बौधिक विरासत से कितने दूर हो चुके है, इसका अनुभव भी हुआ। मेरे पिताजी को उनके विद्यालय में सवा (1.25) का पहाड़ा (tables) सिखाया जाता था, आज हम हर छोटे हिसाब के लिए कैलकुलेटर का प्रयोग करते हैं। मेरे पिताजी को मुझसे अच्छी भौतिकी (physics) आती है, जब की मेरी शिक्षा बचपन से अंगेजी विद्यालय में हुयी। आज हमारे पास अतुल ज्ञान का भंडार है, हर कार्य के लिए यन्त्र (machine) है, परन्तु क्या हमारे पास जीवन का ज्ञान है? एक सवाल हमारी शिक्षा-पद्धति पर?

तलाश

वजह जानने की कोशिश में, ज़िन्दगी से ही दूर हूँ, जाने कहाँ गुम हूँ मैं, खुद की तलाश है मुझे... - कृष्णा

ज़द्दो-ज़हद

कुछ नया करने की ज़द्दो-ज़हद, दिमाग परेशान, मंजिल बहुत दूर है, आराम की ख्वाहिश क्या करूँ? चाहत तो है किसी की सुकून भरी बाहों की, पर इस कामयाबी के जूनून, का क्या करूँ ? -कृष्णा

कुछ और

अब मकसद कुछ और है, अब मंजिल कुछ और है, जुनूँ की ख्वाहिश है बस अब, हौंसला कुछ और है। - कृष्णा