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इंसान और खुदाई - मेरी द्वितीय हिंदी कविता

इक तरफ शोर है, इक तरफ तनहाई है, चाहूँ या ना चाहूँ, फिर तेरी धुंधली सी याद चली आयी है, तेरा ना हो पाने के एहसास ने, जब दिल को बेकरार किया, नजरों ने तब भीड़ में फिर, इक जानी सी शक्ल पायी है| किससे कहूँ, किसको सुनाऊं, तेरे ख्यालों ने कितनी रातें जगाई है, या बयाँ कर दूँ उन लब्जों को, जो तेरे अधखुले लबों की ख़ामोशी ने सुनाई है, ढूंढ़ता रहता हूँ अपने बिस्तर के सिलवटों में कहीं, अनजान बने, इक वही प्यारी मुस्कान, जो तुमसे छिपाकर तकिये के निचे दबाई है | वादों पर एतबार था दोनों को ही, फिर वक़्त ये किस मोड़ पे ले आयी है, नहीं सब कुछ इंसान के बस में, शायद इसी सच के इल्म का नाम खुदाई है || -- कृष्ण पाण्डेय

भाग्य

भाग्य,  पढ़ा था कभी, मैंने कहीं की, होता है सब का एक निश्चित, धरा का, देश का, मानव और हर प्राणी का, सुदूर कही गगन में बैठे विधाता ने, रचा है कोई सूत्र, जिससे बंधी है समय की ये असीमित धारा. हर कल्पित और कल्पना से परे, हर घटना, प्रकृति, ऋतुएँ, मुहुर्त, हर क्षण के घटित होने का एक विधान है, दृष्टि से परे, अंतरिक्ष में अपनी धुरी, लय में परिक्रमा करते ग्रह, तट के मर्यादा में समुद्र, नदियाँ, अचर है पर्वत, बँधे उसी सूत्र में. उस सूत्र की रचना के दो कारण है - पाप और पुण्य, जिसमे भेद कर कर्म करे मनुष्य अपनी बुद्धि से, और करे फल का अर्पण श्री-चरणों में, जिससे जुड़ा है अतीत, वर्तमान और भविष्य. हो सकता है नास्तिको को ये असत्य लगे, कैसे कोई अदृश्य शक्ति का अंकुश है हमारे जीवन में, पर जब चलता नहीं कोई पराक्रम भुजाओं का, सब कहते है यही भाग्य में था, ह्रदय के संतोष के लिये. -- कृष्णा पाण्डेय

"gnome-screenshot" (No such file or directory)"

Linux O/S: RHEL Server release 6.2 (Santiago) Kernel Version: 2.6.32-220.7.1.el6.x86_64 Problem:  When you try to take Print Screen it displays following error message "There was an error running gnome-screenshot: Failed to execute child process "gnome-screenshot" (No such file or directory)" Solution: You need to install package gnome-utils, by running command " yum -y install gnome-utils ". This will also install gnome-utils-libs package for dependencies.