खोया हुआ प्यार
ऐसा नहीं की आज ये पहली बार हुआ है,
की ज़ेहन में फिर उनका ज़िक्र हुआ है,
फिर महसूस हुयी है आंसुओं की गर्माहट,
आज फिर उनके इंतजार में दिन ढलने को है.
फिर सहमा है दिल, कैसे कटेगी सारी रात तन्हाई में,
वापस कानो को इंतजार दरवाजे पे किसी आहट का.
डुबते रहे हम उनके ख्यालों में, अजीब सी सुकून में,
दर्द भी था, ख़ुशी भी थी, उनके कभी हमारे होने का.
फिर सुबह होगी, फिर दफ्तर जाने की मज़बूरी,
फिर वही ख़ुशी का नकाब चेहरे पे,
झूठलाते हुए लोगों की सवाल-भरी निगाहों को,
जैसे सब कुछ सही ही हो इस ज़िन्दगी में.
सच ही तो है, दो हाथ, दो पैर, अच्छी कद-काठी,
सुन्दर चेहरा, माँ-बाप का साया, ढेर सारे यार,
पर क्या करूँ इस दिल की फितरत का,
जिसे उसी की तलाश होती है - वो खोया हुआ प्यार.
-- कृष्णा पाण्डेय
की ज़ेहन में फिर उनका ज़िक्र हुआ है,
फिर महसूस हुयी है आंसुओं की गर्माहट,
आज फिर उनके इंतजार में दिन ढलने को है.
फिर सहमा है दिल, कैसे कटेगी सारी रात तन्हाई में,
वापस कानो को इंतजार दरवाजे पे किसी आहट का.
डुबते रहे हम उनके ख्यालों में, अजीब सी सुकून में,
दर्द भी था, ख़ुशी भी थी, उनके कभी हमारे होने का.
फिर सुबह होगी, फिर दफ्तर जाने की मज़बूरी,
फिर वही ख़ुशी का नकाब चेहरे पे,
झूठलाते हुए लोगों की सवाल-भरी निगाहों को,
जैसे सब कुछ सही ही हो इस ज़िन्दगी में.
सच ही तो है, दो हाथ, दो पैर, अच्छी कद-काठी,
सुन्दर चेहरा, माँ-बाप का साया, ढेर सारे यार,
पर क्या करूँ इस दिल की फितरत का,
जिसे उसी की तलाश होती है - वो खोया हुआ प्यार.
-- कृष्णा पाण्डेय
झूठलाते हुए लोगों की सवाल-भरी निगाहों को,
ReplyDeleteजैसे सब कुछ सही ही हो इस ज़िन्दगी में.
बहुत खूब .....
सुन्दर ....